चित्रपट / Film: सिलसिला-(Silsila)
गीतकार / Lyricist: जावेद अख्तर-(Javed Akhtar)
गायक / Singer(s): लता मंगेशकर-(Lata Mangeshkar), किशोर कुमार-(Kishore Kumar)
मेल:- हु ..हु ..हु ..
{देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए,
दूर तक निगाहों में हैं गुल खिले हुए |} २ बार
फिमेल:- आ S S आ S आ आ आ ( आलाप)
ये ग़िला है आप की निगाहों मे,
फूल भी हों दर्मियां तो फ़ासले हुए|
मेल:- देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए,
दूर तक निगाहों में है गुल खिले हुए
फिमेल:- ला ला ला ला ला ला ला ला हु ..हु ..हु
मेल:- मेरी
साँसों में बसी ख़ुशबू तेरी,
फिमेल:- ये तेरे प्यार की है जादुगरी
आ
S S आ S S आ आ आ ...
मेल:- तेरी आवाज़ है हवाओं में,
फिमेल:- प्यार का रँग है फ़िज़ाओं में|
मेल:- धड़कनों में तेरे गीत हैं खिले हुए,
फिमेल:- क्या कहूँ के शर्म से हैं लब सिले हुए |
मेल:- देखा
एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए,
फिमेल:- फूल भी हो दर्मिया तो फासले हुए ||१||
फिमेल:- मेरा
दिल है तेरी पनाहों में,
मेल:- आ छुपा लूँ मैं तुझे बाहों में
|
फिमेल:- तेरी तस्वीर है निगाहों में,
मेल:- दूर तक रोशनी है राहों में |
फिमेल:- कल अगर न रोशनी के काफ़िले हुए ?
फिमेल:- प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए |
मेल:-
देखा एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए
दूरतक
निगाहों में है गुल खिले हुए
(फिमेल अलाप : आ S S आ S आ..)
फिमेल:- ये गिला है आपकी निगाँहो से,
फूल
भी हो दर्मिया तो फासले हुए
दोनों:- देखा
एक ख़्वाब तो ये सिलसिले हुए,
दूर तक निगाहों में है गुल खिले हुए ||२||
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